आमतौर  पर यही माना जाता है कि थियेटर से जुड़ा कलाकार न तो नाम कमा पाता है और न  दाम, उसकी कमाई सिर्फ यही है कि वो अपने काम से संतुष्ट होता है। इसमें  कोई दोराय नहीं कि थियेटर से जुड़े कलाकारों को मान—सम्मान दिया जाता है  लेकिन ये लोग स्टारडम जैसे टैग से दूर रहते हैं। इनके लिए कला ही असली कमाई  है। अभिनेता—निर्देशक अंकेश सिंह भी उसी कला की कमाई खा रहे हैं जो 2006  में मुंबई आए और सबसे पहले उन्होंने अनुपम खेर के एक्टिंग इंस्टिट्यूट से  एक्टिंग का डिप्लोमा कोर्स किया। आशा चंद्रा के एक्टिंग स्कूल से भी  एक्टिंग सीखी। एन एस डी के डायरेक्टर विजय कुमार के साथ दो साल तक काम करते  रहे। अंक ग्रुप के ओनर दिनेश ठाकुर जी के साथ उन्होंने काफी काम किया। फिर  उन्होंने अपना थिएटर ग्रुप 'द एक्टर्स एक्सप्रेशंस' 2011 में शुरू किया।  उसी के तहत तक़रीबन आठ प्ले कर चुके हैं। बालिका वधु, ससुराल सिमर का,  अफसाना कह रहा हूँ जैसे कई टीवी शोज़ भी वह कर चुके हैं। डीडी के एक शो  'अल्पज्ञान' में उन्होंने बतौर लीड एक्टर प्ले किया था। उन्होंने दो तीन  फिल्मो में भी काम किया है। 
   पिछले दिनों मुंबई के ओडीएम  ऑडिटोरियम में अंकेश ने अपने दो नाटकों का मंचन किया। एक प्ले का नाम है  'गधे की बारात'जो सामाजिक, धार्मिक और राजनितिक परिस्थितियों पर एक सटायर  है जिसे उन्होंने निर्देशित किया है। दूसरे प्ले का नाम है 'कोर्ट मार्शल'  जिसको अंकेश सिंह ने डायरेक्ट किया है। नाटक 'कोर्टमार्शल' में भी अंकेश  सिंह डॉक्टर गुप्ता का रोल प्ले कर रहे हैं। स्वदेश दीपक द्वारा लिखित यह  नाटक भारतीय सेना में मौजूद जाति प्रथा पर एक कटाक्ष करता है।
    अंकेश सिंह अपने आप को एक्टर मानते हैं लेकिन इतने वर्षो थिएटर से जुड़े  होने के कारण अब वह डायरेक्शन को भी एन्जॉय कर रहे हैं। इन्होने एक्टिंग  टीचर एनएसडी के वसीम से भी ज्ञान लिया और एनएसडी रेपेट्री डायरेक्टर प्रमोद  शर्मा के साथ भी एक्टर के रूप में काम किया है।