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क्लैमाइडिया महिलाओं को कैसे प्रभावित करता है? जाने कारण, लक्षण और उपचार

 


क्लैमाइडिया की बीमारी भारत के साथ-साथ अन्य देशों में सबसे अधिक यौन संचारित रोगों (एसटीडी) के द्वारा फैलती है।  महिलाओं में होने वाली क्लैमाइडिया की समस्या ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि क्लैमाइडिया से संक्रमित कई महिलाओं में कोई लक्षण नहीं होते हैं और उन्हें यह पता भी नही चलता है। कि उन्हें संक्रमण है।
 
क्लैमाइडिया संक्रमण एक महिला में फैलोपियन ट्यूब को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। और भविष्य में बांझपन और एक्टोपिक गर्भावस्था के बढ़ते जोखिम को जन्म दे सकता है। गर्भावस्था के दौरान क्लैमाइडिया संक्रमण से महिला को समय से पहले प्रसव और जन्म के समय कम वजन वाले बच्चे होने का खतरा भी बढ़ जाता है। सर्वे से पता चलता है। कि 14 - 25 वर्ष की आयु की 20 यौन सक्रिय युवा महिलाओं में से 1 को क्लैमाइडिया  है। 
 
आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल बताती है। कि यदि क्लैमाइडिया संक्रमण का इलाज नहीं किया जाता है।  तो संक्रमण लगभग 30% केशों में पेल्विक अंगों में फैल जाते हैं, जिससे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) के रूप में जाना जाता है। पैल्विक सूजन की बीमारी के लक्षणों में पैल्विक दर्द, संभोग के साथ दर्द, बुखार, ऐंठन और पेट दर्द शामिल हैं। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज से प्रजनन अंगों पर निशान और क्षति हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप इनफर्टिलिटी (बांझपन) हो सकता है।

क्लैमाइडिया के लक्षण कैसे होते है ?
ऐसी महिलाएं जो क्लैमाइडिया से संक्रमित है। उनको इस बात का जरा भी अंदाजा नही होता है। कि वह क्लैमाइडिया जैसी बीमारी से पीडित है। क्योंकि इस बीमारी में शुरुआती लक्षण दिखाई नही देते है। इस कारण से जब इस बीमारी के बारे में पता चलता है। तो कई हफ्ते बीच चुके होते है। ऐसे में यदि आपको शुरुआत में कुछ इस तरह  से लक्षण दिखाई दें। तो आप तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेकर क्लैमाइडिया का उपचार शुरु करवा सकती है। 
 
पीरियड्स में तेजी ब्लीडिंग होना। 
बुखार बनी रहना । 
कमर ने नीचे वाले हिस्से में दर्द होना। 
संबंध बनाने समय दर्द होना। 
सामान्य रुप से वैजाइनल डिस्चार्ज न होना। 
 
यह सब लक्षण होने पर आप चिकित्सक की सलाह ले सकती है। क्योंकि इनमें यदि किसी प्रकार का संकेत आपका शरीर देता है। तो आपको किसी अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। 

नोट - कुछ ऐसे में दुर्लभ मामले देखने को मिल सकते है। जिसमें यदि महिला को क्लैमाइडिया है। तो ऐसे में महिला को आंखों संबंधी दिक्कतें (आंखों में जलन, आंखों की रोशनी में बदलाव, आंखों में लालिमा)  आ सकती है। ऐसे लक्षणों को गंभीरता से लेते हुए। इसके उपचार के लिए जल्द के जल्द कदम उठाने चाहिए। 

क्लैमाइडिया होने के कारण - 
क्लैमाइडिया एक प्रकार की संक्रमण की बीमारी है। जो अक्सर किसी व्यक्ति के संक्रमित व्यक्ति से साथ संबंध बनाने से फैलती है। इस बीमारी में क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया होता है। जो संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है। 
 
क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया महिला या पुरुष के मूत्रमार्ग, योनिमार्ग, मलाशय, गर्भाशय ग्रीवा में हो सकता है। कुछ केशों में यह महिला या पुरुष के गले में भी हो सकता है। परंतु ऐसे बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलता है। इस मुख्य कारण यह है । कि यदि आप असुरक्षित तरीके से संक्रमण वाले व्यक्ति से यौन संबंध स्थापित करते है। तो इसके होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। 
 
इसका दूसरा मुख्य कारण यह है। कि आज की युवा पीढ़ी जो सेक्स के प्रति ज्यादा सक्रिय रहती है। उन्हें इसके होने का खतरा ज्यादा रहता है। क्योंकि वह सेक्स की चाह में अधिक लोगों के साथ यौन संबंध रखते है। 
यदि कोई महिला क्लैमाइडिया से संक्रमित है तो उसके होने वाली संतान को इसके होने की संभावना होती है। इस समस्या से बचने के लिए आप आयुर्वेद की बीज संस्कार पद्धति को अपनाकर इस दोष से अपने होने वाली संतान की सुरक्षित रख सकती है।
 
यदि आप क्लैमाइडिया का एलौपैथी से इलाज ले रही है। तो उसके दोबारा होने की संभावना भी रहती है। ऐसे में आपको कुछ महीनों के बाद इसके टेस्ट करवाते रहना चाहिए। नेचुरल थेरेपी और आयुर्वेद पद्धति में इसका स्थाई उपचार उपलब्ध है। ऐसे में आप इनको अपनाकर हमेशा के लिए क्लैमाइडिया की समस्या से निजात पा सकती  है। 
 
क्लैमाइडिया के होने के ज्यादा चांस ओरल, वैैजाइनल और एनल सेक्स करने पर होते है। यदि आपको कोई लक्षण नही दिखाई देते है। तो भी आपको क्लैमाइडिया हो सकता है और इसका पता जांच कराने पर ही लगता   है। 
 
समलैंगिको में भी क्लैमाइडिया की समस्या हो सकती है।  

क्लैमाइडिया की जांच कैसे करें - 
क्लैमाइडिया के पता लगाने के लिए आपका डॉक्टर आपसे कुछ बैक्टीरिया के सैंपल लेता है। और फिर परीक्षण के दौरान क्लैमाइडिया के होने या न होने की पुष्ठि करता है। डॉक्टर क्लैमाइडिया के जांच के लिए NAAT Test की भी मदद ले सकते है। जो क्लैमाइडिया के संक्रमण की सटीक जानकारी देता है। 
 
क्लैमाइडिया का आयुर्वेदिक उपचार - 
आयुर्वेदिक चिकित्सा में क्लैमाइडिया के उपचार हेतू आयुर्वेदिक हर्बल औषधियां के प्रयोग से संक्रमण को खत्म किया जाता है। आयुर्वेद में प्रजनन संबंधी संक्रमण को दूर करने के लिए पंचकर्म सिद्धांत के अंतर्गत आने वाली उत्तर बस्ती की मदद भी ली जा सकती है। क्योंकि इस पद्धति के द्वारा सीधे प्रजनन अंगों को प्रभावी आयुर्वेदिक चिकित्सा उपचार से ठीक किया जाता है। इसमें योनि धूपन, योनि धूपन थेरेपी इत्यादि शामिल हैं। 

यह खास जानकारी आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से “क्लैमाइडिया से महिलाएं कैसे करें बचाव” की चर्चा के दौरान प्राप्त हुई है।
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